नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको दिल टूटे आशिक़ की एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसका शीर्षक है Teri Bewafai Hindi Story (तेरी बेवफ़ाई हिंदी कहानी). यह कहानी बहुत सारे लोगों की ख़ुद की कहानी भी लग सकती है।

teri bewafai hindi story

TERI BEWAFAI Hindi Story Introduction

एक तरफा मोहब्बत की एक ऐसी कहानी जिसमें लड़का लड़की की मजबूरीयों की वजह से या, ये कहे की एक धोखे की वजह से अलग होकर रहना पड़ता है। जो प्रेमी अलग होना नहीं चाहते उन्हे नसीब के आगे झुकना पड़ता है|

और अलग होने पर एक लड़का और लड़की पर क्या गुजरती है इस की कल्पना मात्र से ही दिल बैठ जाता है|

एक तरफा मोहब्बत(प्रेम) जिसमें लड़का को लड़की से प्रेम हो लेकिन लड़की को लड़के से न हो, या यू कहे की लड़की को हो लड़के को न हो |

इन्हीं सब कहानियों किस्सों को मिलाकर एक तरफा मोहब्बत की वो दस्तानों को मिलाकर। हम आपके बीच एक कहानी को लाए हैं यह कहानी नहीं हर एक उस आशिक की हर एक उस प्रेमी की जो एक तरफा मोहब्बत में हार जाता है उसकी कहानी है इस कहानी के माध्यम से आपको एक तरफा प्रेम से जुड़ी हर एक तकलीफ हर एक पहलू हर एक बिंदु का पता लगेगा की अगर प्रेम सच्चा हो जाए तो बिछड़ कर जीना बहुत मुश्किल हो जाता है

एक प्रेमी जो यूं कहें कि अपने नसीब अपने किस्मत या अपने प्रेमी के धोखे की वजह से हार गया।

प्रेम में असफल होना बड़ी बात नहीं है असफल होकर अपने प्रेमी प्रेमिका भूलकर जीना बहुत मुश्किल हो जाता है

अगर ये दिल किसी से लग जाये तो भूलना बहुत ही मुस्किल हो जाता है

जीवित होकर भी जिंदा लाश बन जाना | फिर भी जिंदा रहना बहुत मुश्किल है

तो चलिए उनकी आप बीती कहानी को शुरू करते हैं।

teri bewafai hindi story २

Teri Bewafai Full Hindi Story

आज से कुछ समय पहले की बात है एक शहर मे एक विद्यालय था | जिसमें एक लड़का और लड़की पढ़ते थे

लड़की का नाम “आरती” और लड़के का नाम “पीयूष” था।
पीयूष पढ़ने लिखने मे बहुत होशियार था, पीयूष के जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा था, ज्यादा अमीर परिवार से तो नहीं था |

लेकिन उतना भी कमजोर परिवार से नहीं था । उसके माता-पिता कड़ी मेहनत कर से उसकी परवरिश अच्छे से कर रहे थे। ताकि उनका बेटा अच्छे से पढ़े-लिखे और कुछ जीवन मै काम या कुछ नौकरी कर ले। ताकि आने वाले जीवन में उसे कोई तकलीफ ना हो ।

लेकिन कहा गया है ना कि किस्मत और ईश्वर को तो कुछ और ही मंजूर होता है। आप अपने जीवन में कुछ और सोच ले लेकिन जो आपके भाग्य और किस्मत में जो है वह तो आएगा ही।

कॉलेज में एक दिन पीयूष ने आरती को देखा। पीयूष के कदम कुछ देर तक वही पर रुक गए पीयूष आरती को अपने आँखों से निहारता रह गया। और देखे भी क्यों नहीं आरती चेहरे से बहुत सुंदर और खुबसूरत लड़की थी । आरती के ओ नयन नखस आज तक पीयूष के दिल में ओ एहसास नहीं हुआ था। जो आरती को आज देख कर हुआ पीयूष को एहसास हुआ था ।

जो आरती को देखकर उसके दिल में ओ हलचल हुई आज तक कभी भी नहीं हुआ। अचानक से उसका दिल जोरों से धड़कने लगा। जो दिल किसी को अपना नहीं मान पाया आरती को देख कर एक पल मे अपना मान बैठा। और उसके बाद हमेशा केवल के आरती के बारे मे ही सोचता रहता। उसका ना अब किसी काम मे मन लगता न पढ़ाई मे, हर समय उसके दिल दिमाग मे आरती ही घूमती रहती । हमेशा यही सोचता रहता की,

आरती से कैसे बात करूं उसको अपने दिल की बात कैसे बताऊ। जो पियूष पढ़ने लिखने में इतना अव्वल और होशियार था। उसका अब उसका पढ़ाई मे मन नहीं लग रहा था । वह केवल आरती को ही सोचता रहता की आरती से कैसे बात करूं।

धीरे-धीरे इसका प्रभाव पीयूष के पढ़ाई पर भी पड़ा और जो पीयूष पढ़ने लिखने में इतना होशियार था। वह धीरे-धीरे उसका पढ़ाई के प्रति उसका ध्यान हटने लगा। और उसका पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था हर समय केवल आरती के बारे में ही सोचता रहता।

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पीयूष आरती को बहुत जादा पसंद करता इसका पता उसके दोस्तों को था। एक दिन कुछ कॉलेज के परियोजना (प्रोजेक्ट) के लिए संघटन (टीम) बनाए गए ताकि सभी विद्यार्थी मिलकर अलग कार्य कर पाए। जिसमें पीयूष के दोस्त राहुल,मोहित और रोहित को अलग-अलग टीम में बांटा गया। पीयूष,आरती, प्रिंस और सुरभि, एक संघटन (टीम) में हो गए। परियोजना (प्रोजेक्ट) पे काम चालू हुआ। सबको संघटन (टीम) के कप्तान ने काम बताया जिसमें पीयूष और आरती को एक साथ काम मिला। इस बीच पहली दफा पीयूष और आरती के बीच बातचीत हुई। आरती के सवालो का जवाब देने मे पीयूष को अजीब सी बेचैनी और घबराहट हो रही थी पीयूष की सांसे उसे समय बहुत तेज थी और उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। पीयूष की हालत को देख कर आरती ने हसते हुए पूछा क्या हुआ पीयूष , पीयूष ने कहा कुछ नहीं

पियूष अपने दिल की बात आरती से कहना चाहता था, लेकिन उसको डर लग रहा था की आरती कही बुरा ना मन जाए यही सब सोच मे उसने आरती को कुछ नहीं कहा, की कही आरती को बुरा न लग जाए। कहीं आरती बुरा ना मान जाए और इसी बीच परियोजना (प्रोजेक्ट) खत्म हुआ l

संघटन (टीम B) को यानी पियूष और आरती की टीम को फर्स्ट प्राइज मिला l इस वक्त के बाद पीयूष और आरती में नजदीकीया बढ़ी , थोड़ी बहुत बातें होने लगी इन सब सारी चीजों का पता उनके दोस्तों को था l कि पीयूष मन ही मन आरती को बहुत पसंद करता है। और उससे बहुत ज्यादा प्यार करता है और पीयूष यहां तक शादी के भी सपने देख चुका है।
धीरे-धीरे पियूष और आरती के बीच बातचीत होने लगी और पीयूष बहुत जादा खुश रहने लगा एक दिन पीयूष और आरती जब कॉलेज मे मिले तो आपस मे बातचीत होने लगी।
आरती:-कैसे हो पीयूष,

पीयूष:- थोड़ा स्लो बोलते हुए,अच्छा हूं “तुम कैसी हो ?
आरती:- मैं ठीक हूं पीयूष,अच्छा पीयूष तुम्हारे पापा क्या करते हैं?
पीयूष:- हमारी एक दुकान है जो पापा चलाते हैं।

इसी तरह बहुत सारी बातें पीयूष और आरती के बीच हुई। धीरे-धीरे पीयूष और आरती की बातचीत होती रही और पीयूष और आरती की दोस्ती (केमिस्ट्री) मजबूत होने लगी। उन दोनों को एक साथ समय बीतना अच्छा लगने लगा

आरती पियूष में रुचि (इंटरेस्ट) लेने लगी आरती पीयूष की बातों को ध्यान से सुनती समझतीl ध्यान से सुनने लगी,और आरती पीयूष पर धीरे-धीरे भरोसा करने लगी। बातों ही बातों में मोबाइल नंबर एक्सचेंज हुए बातें होने लगी मैसेज होने लगा। धीरे-धीरे पीयूष और आरती की नजदीकियां बढ़ने लगी और पीयूष को लगने लगा कि कहीं ना कहीं आरती भी मुझे पसंद करती है। जिससे कि उसकी उम्मीदें और बढ़ने लगी।

तेरी bewafai hindi kahani continued…


एक दिन ऐसा भी दिन आया जब उसने आरती को कॉलेज में प्रपोज किया। जिसे आरती सुनकर थोड़ा सा चौकी और चुप रही आरती ने उस समय पीयूष को कोई जवाब नहीं दिया। और वहां से बिना कुछ बोले चली गई। पीयूष ने रोका लेकिन वह नहीं रुकी वह चली गईl कुछ दिन के तक आरती और पीयूष की बातचीत बंद हो गई। पीयूष कॉलेज जाता लेकिन आरती कॉलेज नहीं आ रही थी। पीयूष की बेचैनी बढ़ती जा रही थी समय के साथ, लेकिन आरती का ना कोई संदेश (मैसेज) था पीयूष बहुत जादा उदास और मायूस रहने लगा आरती के तरफ से किसी भी प्रकार का जवाब नहीं था l

यहां तक की आरती ने उसके साथ बातचीत भी बंद कर दी थी और आरती कॉलेज भी नहीं आ रही थी। पीयूष बेचैन रहने लगा l उसे ना अब पढ़ना अच्छा लगता नहीं खाना, हर वक्त यही सोचता की आरती का जवाब क्या होगा। आरती ने मुझे जवाब क्यों नहीं दिया कहीं ऐसा तो नहीं की आरती को मेरी बातें बुरी लग गई हो। ऐसा भी हो सकता है की आरती मुझसे कभी बात ना करें यही सब बातें सोचकर पियूष परेशान रहने लगा। एक दिन अचानक उसके फोन पर संदेश (मैसेज) आया पीयूष ने फोन को देखा तो आरती का संदेश (मैसेज) था

“कैसे हो”

पीयूष ने संदेश (मैसेज) देखा और वहीं पर स्थिर खड़ा हो गया उसके हाथ पांव कांपने लगे और उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पीयूष सोचता रहा क्या लिखूं उसने अपने कापते हुए हाथ से मैसेज लिखा।

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“ठीक हूं तुम कैसी हो आरती”
मैसेज चला गया और इंतजार करता रहा जवाब का की जवाब आ जाए

आरती का मैसेज था- “मिल सकते हो”

उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा उसने जवाब दिया –

“हां कहां मिलना है”

आरती ने एक जगह का नाम बताया और समय बताया। पियूष बहुत खुश था आज बहुत दिनों के बाद आरती से मिलेगा और अपने दिल के बात आरती से पूछेगा और ये भी हो सकता है की आरती अपने दिल की बात मुझे बताने आ रही हो।

यही सब सोचते हुए पीयूष आरती से मिलने पहुचा पीयूष और आरती मिले थोड़ी बहुत बातें सुरु हुई पीयूष खुश था लेकिन डर भी रहा था कि आरती ने मुझे क्यों बुलाया होगा। क्या बात होगी क्या वह मुझे पसंद करती है क्या मुझे वह मेरे सवाल का जवाब देगी कि मैं उसे बहुत प्यार करता हु। उधेरबून मे उसको एक बात सुनाई दी की पियूष कहां खो गए आरती कहती रही पीयूष,पीयूष,पीयूष तब जाकर कहीं उसने हां बोलो।

आरती ने कहा कहां खो गए पीयूष “पीयूष” घबराते हुए कहीं नहीं जैसे उसकी कोई चोरी पकड़ी गई हो। आरती ने बातचीत के दौरान एक ऐसा शब्द कहा जिसे सुनकर पीयूष की दुनिया ही लुट गई पीयूष की आंखें भर आई लेकिन उसने आरती के सामने जाहीर होने नहीं दिया।

आरती ने कहा कि पीयूष मैं किसी और को पसंद करती हूं। इतना सुनने के बाद पीयूष एकदम से सुन हो गया उसका दिल दिमाग ने काम करना बंद कर दिया । और वह एक पल के लिए खामोश हो गया और उसके एक पल मै सपने बिखर गए| वह पियूष जिसने आरती के साथ दुनिया बसाने के सपने देखे थे lआरती के एक जवाब से वह लड़का बिखर गया। एक पल में वह लड़का जीते जी मर गया इतना कह कर आरती वहां से चली गई। पीयूष कुछ बोल नहीं पाया वह आरती को बेसुध जाते हुए देखता रह गया। आरती चली गई पीयूष का दिल बैठ गया। एक पल मै वह लड़का जिंदा लाश के समान बन गया और वह टूट गया कुछ देर के लिए उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। आरती के वह सपने दिन रात देखा था उसे आरती ने उसे ठुकरा दिया। उसका प्रेम अधूरा रह गया l


आंखों में आंसू और बहुत कुछ दिल में सवाल, बहुत दिलो जान से आरती को प्यार करता था। लेकिन आरती के एक जवाब से पीयूष का बिखर जाना।

कहा गया है ना यहां एक तरफा मोहब्बत बहुत जानलेवा होती है पीयूष के सपने टूट गए वह दोस्तों से मिलना जुलना बंद कर दिया। अकेला रहने लगा उसके मम्मी पापा पूछ-पूछ कर परेशान थे की क्या हुआ बेटा क्या हो गया है तुझे क्या हुआ तू कुछ जवाब नहीं देता है।

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उसके दोस्त परेशान थे कि पीयूष अपना दिमागी हालत अपना शरीर बर्बाद कर रहा है। आरती के याद में उसको सुनकर सदमा तब लगा जब उसको पता चला की आरती की शादी हो गई। उसके मम्मी पापा को दोस्तों से पता चला कि पीयूष एक लड़की से प्यार करता था उसे उसने प्रपोज किया था। लेकिन उसे लड़की ने उसको ठुकरा दिया और उस लड़की की शादी कही और हो गई है,पीयूष उस लड़की को सब कुछ मान चुका था। मम्मी पापा उसको समझा समझा कर परेशान थे लेकिन उसके दिल दिमाग में आरती बस चुकी थी। धीरे-धीरे पर उसका बर्ताव पागलो जैसे होने लगा और आरती को चाह कर भी नहीं भूल पाता। नहीं भूल सकता था क्योंकि आरती उसकी दुनिया बन चुकी थी।

वहां आरती अपनी दुनिया किसी और के साथ बसा चुकी थी। और वह अपनी दुनिया मै खुश थी| पीयूष का हाल दिन पर दिन बतर होता गया पीयूष में ना कोई सुधार था ना कोई अंतर वह आरती के लिए पागल हो चुका था। इसका वजह ये हुआ कि वह नशे के गिरफत में आ गया और वह अच्छे तरीके से बर्बाद हो गया।

इस कहानी का कोई अंत नहीं है, क्योंकि एक तरफा इश्क करने के बाद मरने पर ही खत्म होती है याद,

अगर एक बार किसी से यह दिल लग जाए तो शायद किसी भी कीमत पर वह प्रेमी वह प्रेमिका दिल से नहीं निकाल पाते। जीते जी किसी को भूल कर जीना अपने आंखों के सामने उसे देखकर जीना बहुत मुश्किल होता है। इसी को तो एक तरफा इश्क कहते हैं।

उधर आरती अपनी दुनिया में खुश थी इधर पीयूष ,अपनी दुनिया बर्बाद कर चुका था । यही इस कहानी का अंत है आपको यह कहानी की अंत (एंडिंग) थोड़ी सी अनसुलझी हुई लग सकती है लेकिन हर एक तरफा इश्क की यही कहानी है। किसी न किसी की जिंदगी तो बर्बाद होती ही है किसी न किसी की मोहब्बत अधूरी रह ही जाती है। क्योंकि मिलना तो नसीब में नहीं होता लेकिन किस्मत एक बार मिला कर बर्बाद कर देती है। यह दिल यह दिमाग जब किसी को अपना मान ले तो उसको भूलना बहुत मुश्किल हो जाता है।
कहां गया है ना जब मिलना नसीब में नहीं होता या एक तरफा इश्क में लोग बर्बाद बदनाम हो जाते हैं तो इसी पर कहा गया है कि

” तू मुझे थोड़ा और जलील का अभी तेरे लिए प्यार बाकी है मेरे दिल में”

इस कहानी को यही अंत करते हैं क्योंकि ज्यादा तर एक तरफा मोहब्बत ना सफल हुई है। ना शायद सफल होगी एक तरफा मोहब्बत में हारे हुए लोग कि यह एक कहानी है।

Conclusion

अगर आपको यह कहानी थोड़ी सी भी पसंद आती है तो इसे शेयर करना ना भूलें। हो सकता है यह कहानी आपको थोड़ी अजीब लगे लेकिन एक तरफा इश्क की यही कहानी है। कोई अपनी दुनिया बसा लेता है कोई अपनी दुनिया उजाड़ बैठता है।

अगर आपको यह कहानी थोड़ी सी भी पसंद आई है तो इसे शेयर करना ना भूले और आप हमारी और कहानी – कविताओं को पढ़ सकते हैं।

Written By: Ajay Gupta

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