Hindi Poem on Pulwama Attack: पुलवामा हमले को बीते लगभग 4 वर्ष हो गए। ऐसा कोई भी दिन नहीं बिता होगा जिसमे हम सब ने अपने शहीद वीर शपूतों को याद ना किया हो। जो वीर हमारी सरहद की सुरक्षा करते हैं। जिनकी वजह से हम रातों को चैन की नींद सो पा रहे हैं। हमे उन वीर सपूतों का दिल से शुक्रिया करना चाहिए।
हमे उन परिवार को नही भूलना चाहिए जिन्होने अपने शेर रूपी पुत्र को पुलवामा हमले मे खो दिया। सारे आतंकवादियो का खात्मा होने से ही देश सुरक्षित हो सकेगा। ये काम हमारे सरहद पर तैनात वीर सिपाहियों का होता है। जो अपने परिवार से काफी दूर रह कर हमारी ओर हमारे मातृभूमि की रक्षा करते हैं।
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पुलवामा या प्यार? – कैसे देशभक्त हो आप?
हम पुलवामा हमले मे शहीद हुए उन वीर जवानों की शहादत को कैसे भूल सकते हैं। हम, जहां पूरी दुनिया 14 फरवरी को एक प्रेम दिवस के रूप में मानती है। वही हमे पता होना चाहिए की इस दिन कई घरों का चिराग बुझ गया था। हमारे भारतीय जवान, दुष्ट आतंकवादियों के पडयंत्र के शिकार हो गए थे। जो अपने देश के लिए प्रेम भावना के साथ उस जंग-ए-आजादी को महसूस करने जा रहे थे।
उन 40 CRPF वीरों की साहस को अंतर आत्मा की गहराइयों से शत-शत नमन करते हैं। जिनकी शहादत को हम क्या पूरा देश युग युग तक याद रखेगा। धन्य हैं जननी जो हमारे शहीद हुए वीर पुत्रों को जन्म दिया। उन पुत्रों के शहादत को ना यह देश, ना ये देशवासी भूलने वाले हैं।
इसी घटना के ऊपर आप सबके बीच Meri Zindgi लेकर आया है “पुलवामा हमले पर हिन्दी कविता“। यह कविता Pulwama Attack Hindi Kavita में शहीद हो चुके उन वीर जवान को समर्पित किया जाता है। तो चलिए शुरू करते हैं, अगर आपको यह कविता पसंद आए तो कम से कम शेयर जरूर कीजिएगा।।
पुलवामा हमले पर आंखे नम कर देने वाली हिन्दी कविता – Poem on Pulwama Attack
वीर सपूतों की टोली थी,
शहीदे आजमों की रंगभूमि थी ।
आंखें नम इस बात पर है,
क्या वही उनकी कर्मभूमि थी।।
जो लड़ा देश के शान में ,
पूरा देश खड़ा था जिसके सम्मान में।
चिथड़े-चिथड़े उड़े जिसके,
क्या कमी रह गई शहीदों के बलिदान में।।
प्यार मोहब्बत की छोड़ तैयारी,
हारा जिसने पुलवामा में जान की बाजी।
गर्व है हमें उन वीरों पर ,
जिसने अपने जिंदगी देश पर वारी
संकट या पडयंत्र,
क्या था पुलवामा हमले का मंत्र।
देश प्रेम के लिए न्योछावर सब कुछ,
है क्या कोई इससे बढ़कर दूसरा तंत्र।।
तिरंगे में लिपटी थी शान जिसकी,
मां की गोद सुन कर गई अभियान किसकी।
भुले शहादत कैसे हम…,
याद कर वह पल आंखें नम हो जाती है सबकी।।
खुशियों में भूले हम जिस वक्त को,
झुका पूरे देश का सिर जिनके सम्मान को।
दे पाएंगे क्या हम ऐसे वीरों को,
देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न को।।
पुलवामा हमले पर हिन्दी कविता का भावार्थ:
यह कविता वीर सपूतों के बलिदान और उनकी महानता के बारे में है। इसमें यह प्रश्न उठाया गया है कि क्या उनका जीवन ही उनकी कर्मभूमि थी या उनके बलिदान में कुछ कमी रह गई? कविता में पुलवामा आतंकी हमले के बलिदानियों की महानता और उनकी पराक्रम की स्तुति की गई है। इसके साथ ही देश के लिए भावनात्मक समर्पण और वीरता की महत्ता को उजागर किया गया है। देश के इस उच्च सम्मान को लेकर विचार किया गया है कि क्या हम उन वीरों को वास्तविक सम्मान और स्तर के साथ नहीं सम्मानित करते हैं?
Pulwama Attack Hindi Poem संक्षेप में:
यह कविता पुलवामा हमले में शहीद हुए वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि है। कवि उनके बलिदान और देश प्रेम का गुणगान करता है।
शब्दार्थ:
- टोली – समूह
- रंगभूमि – युद्ध का मैदान
- कर्मभूमि – कार्यक्षेत्र
- शान – सम्मान
- बलिदान – त्याग
- तैयारी – योजना
- बाजी – दांव
- अभियान – कार्य
- तंत्र – तरीका
- न्योछावर – समर्पित
- सर्वोच्च – सबसे ऊँचा
टिप्पणी:
यह कविता भावुक और देशभक्ति से प्रेरित है। यह हमें शहीदों के बलिदान को याद दिलाती है और देश के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना पैदा करती है। यह Hindi Poem on Pulwama Attack आप सबको याद रहना चाहिए ताकि हमारे वीर जवानो की आत्मा को श्रद्धांजलि मिले। यह पुलवामा हमले पर हिन्दी कविता आपको पसंद आई तो आओ इसे मिल कर सभी भारतीय तक पाहुचाए।
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