जिंदगी एक ऐसा शब्द एक ऐसा भाव जो हर किसी की लाइफ की आपबीती की कहानी होती है।
यूं ही नहीं जिंदगी को खूबसूरत कहा जाता है यूं ही नहीं जिंदगी को गलत भी कहा जाता है सबकी अलग-अलग फरमाइश है सबकी अलग-अलग किस्मत उन्ही शब्दों को मिलाकर को मिलाकर कविता का रूप दिया गया है।
मेरी ज़िंदगी हिन्दी कविता क्यों है ख़ास…
ऐसे ही एक या हर एक व्यक्ति की जिंदगी की मजबूरियां जिंदगी की कहानी आपके बीच लाए हैं Merizindgi.in के इस मेरी ज़िंदगी हिन्दी कविता के माध्यम से।
हर एक व्यक्ति उससे जुड़ी जिंदगी की परिस्थितियों को शब्द की माला में बुनकर उसे कविता की माला में बनाकर आपके बीच जिंदगी की सही मायने सभी परेशानियों को इस कविता के माध्यम से, पता लगेगा की जिंदगी के कितने अजीब अजीब नखरे होते हैं।
अगर आपको हमारी कविताएं पसंद आती हैं तो हमारी और भी कविता आप पढ़ सकते हैं Ladko ki kahani Hindi kavita
इंसान मेहनत करता है किस्मत साथ नहीं देती है इंसान सब कुछ करता है जिंदगी साथ नहीं देती है या यूं कहें तो हम बस जिंदगी की एक डोर में बंधे है गुड्डे गुड़िया है। अगर आपको एक किताब पढ़नी है तो ये पढ़ सकते हैं मेरी ज़िंदगी मेरे शब्द।
जो जिंदगी जब चाहती है हमें ना नचाती है। कहाँ गया है की कुछ दो-चार कदम अपने मन से चलने दे जिंदगी तेरे कहने पर तो बरसों से चले हैं।
मेरी ज़िंदगी कविता आपकी ज़िंदगी से भी जुड़ी हुए है…
अगर सही नजरिया से देखें तो जिंदगी इतनी भी बुरी नहीं है लेकिन बहुत सारी परेशानियों से गुजरना बहुत मुश्किल हो जाता है कभी-कभी ,
इसी सब कहानियों को मिलाकर किस्सों को मिलाकर Merizindi.in आपके बीच लाए हैं इस मेरी ज़िंदगी कविता को इसे पढ़ने के बाद आप इसे शेयर करना ना भूले क्योंकि जिंदगी की हर एक पहलू इस कविता के माध्यम से आपको पता लगेगी। तो चलिए शुरू करते हैं इस खूबसूरत सी दिल को छू जाने वाली हिन्दी कविता को।
दिल से पढ़ें – “मेरी ज़िंदगी हिन्दी कविता”
ए जिंदगी इतनी उदास क्यों है,
किसी की उजड़ी तो किसी की बिंदास क्यों है,
माना की है अंदाज अलग मेरे जीने की,
फिर भी बता दे मुझसे इतनी नाराज क्यों है।
है अंधेरा मंजिल के हर रास्ते में,
मुश्किल भरा है हर पग हमारा,
हिम्मत टूट रही है सब छूट रही है,
सर रख दिया है खुदा मैंने तेरे सजदे में।
ना उम्मीद च्चे ना किनारे मिले हैं, कोशिशें के बदले क्या मिले।
सब कुछ तो चला गया हमारे दामन से,
है इंतजार सिर्फ कब अंतिम छोर मिले।
खुशी के हर पल बिखरे हैं,
जिंदगी के अजीब नखरे हैं।
छुप गए सब तारे कहाँ,
छटेगी कब घिर गए जो अंधियारे हैं,
कांटों से घीरे राहे हैं,
मिला नहीं कभी जो चाहे हैं।
छूट गया अब सब्र हमारा,
परेशानियां फलता अपनी बाँहे है।
चाहते में सिमटी है,
कुछ तस्वीर जिंदगी की।
राहगीर बन गए अनजान,
हम अपने ही तकदीर की।
WRIITEN BY GEET / COMPOSED BY AJAY GUPTA
अगर आपको ये हमारी मेरी ज़िंदगी पर हिन्दी कविताएं पसंद आती हैं तो हमारी और भी कविता को आप पढ़ सकते हैं जैसे MERE PAPA Poem in Hindi को ज़रूर पढ़ें।
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