Bachpan ki Yaadein Hindi Poem: बचपन और बचपन की यादें (Bachpan Ki Yaadein) वो होती हैं जो हमें अद्भुत खुशी देती हैं। ये खुशी शायद ही कुछ और चीज से हमें मिलती है। बचपन वो समय होता है जब हमारे मन में कोई चिंता नहीं होती, कोई दुख नहीं होता। हमें कुछ पाने की या कुछ खोने की चिंता नहीं होती। सब कुछ सरलता से होता है। ये वो समय था जब हम अद्वितीय खुशियों का खजाना जी रहे थे, और आज भी वह खुशियाँ हमारे दिलों में बसी हुई हैं, हम सबके लिए।
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Hindi Poem on Bachpan ki Yaadein
हमारे जीवन में कुछ ऐसी बातें होती हैं जो हम कभी नहीं भूल सकते, चाहे हम जीतने भी लंबा समय बिता लें। बचपन! चाहे वो मेरा हो या आपका, सभी को याद तो आता ही है। सभी सोचते हैं, “काश हम अपने बचपन को एक बार फिर से जी सकते और वही खुशियाँ और शरारतें एक बार फिर से कर सकते।” शायद हम वापस नहीं जा सकते, लेकिन हम छोटे बच्चों को खेलते हुए देखकर और इस बचपन की यादें हिंदी कविता (Bachpan Ki Yaadein Hindi Kavita) को पढ़ कर अपने बचपन को याद कर सकते हैं।
“बचपन की यादें” हिंदी कविता – Hindi Poem on Bachpan ki Yaadein
बचपन के वो दिन,
कब गए हमसे छीन |
खुशियों को खुशियों की वो चारदीवारी
परेशानियों से खुद की दूरी
रूठने पर पापा का वह प्यार
अब बन गया टाइम का इंतजार
ट्यूशन कोचिंग सबसे छुट्टी
होती थी ना कोई ड्यूटी
मम्मी की डांट पापा का प्यार
होती थी जीत हमारी हर बार
मस्ती के वो दिन थे
हर चीज से अनमोल थे
खोकर पल वो पा न सकेंगे
लौटाकर कल वो ला न सकेंगे
जिद हमारी इतनी सी थी
यादों को कैद करनी ही थी
सपने थे दुर अपने थे करीब
यही थी जिंदगी की तस्वीर
अब सपने हैं करीब और अपने हो गए दूर
क्या यही है जिंदगी का दस्तूर
थक गई बचपन को ढूंढ कर
मिला ना ऐसा कोई अवसर
बदल गई हर मायने बदल गया अंदाज
कहां मिलेगा वह बचपन बता दे कोई एक बार
Geet
इस कविता का भावार्थ:
बचपन के वो दिन, कब गए हमसे छीन,
ये कविता व्यक्ति के बचपन की यादों और सुख-संगीत की कमी को दर्शाती है।
खुशियों को खुशियों की वो चारदीवारी,
जिन दिनों में हम खुशियों की खोज करते थे, वे अब दूर हैं।
परेशानियों से खुद की दूरी,
बचपन में हमारी चिंताओं से दूरी थी।
रूठने पर पापा का वह प्यार,
पापा का प्यार जब हम रूठते थे, वो याद है।
अब बन गया टाइम का इंतजार,
बचपन में हम वक्त का इंतजार करते थे, अब नहीं।
ट्यूशन कोचिंग सबसे छुट्टी,
बचपन में ट्यूशन और कोचिंग के बिना हमें छुट्टी मिलती थी।
मम्मी की डांट पापा का प्यार,
मम्मी की डांट और पापा का प्यार हमें जीतने में मदद करते थे।
होती थी जीत हमारी हर बार,
हमें हमारी जीत पर हमेशा गर्व था।
बचपन की यादें भावार्थ
मस्ती के वो दिन थे,
वो दिन जब हम मस्ती करते थे, वे यादें अनमोल हैं।
हर चीज से अनमोल थे,
हमारे बचपन के दिन हमारे लिए अनमोल थे।
खोकर पल वो पा न सकेंगे,
वो सुखद पल जो हमने खो दिया है, वापस नहीं पा सकेंगे।
लौटाकर कल वो ला न सकेंगे,
वो दिन जो हम खो दिए हैं, वापस नहीं ला सकेंगे।
जिद हमारी इतनी सी थी,
हमारी जिद बचपन में थी, बस इतनी सी।
यादों को कैद करनी ही थी,
हमें अपने खुशी-गम के पलों को सुरक्षित रखना था।
सपने थे दुर अपने थे करीब,
हमारे सपने हमारे पास थे, लेकिन अब वे दूर हो गए हैं।
यही थी जिंदगी की तस्वीर,
जीवन का एक संक्षिप्त चित्र है ये कविता।
अब सपने हैं करीब और अपने हो गए दूर,
अब हमारे सपने करीब हैं, लेकिन हम दूर हो गए हैं।
क्या यही है जिंदगी का दस्तूर,
क्या यही हमारे जीवन का नियम है, इसका सवाल है।
थक गई बचपन को ढूंढ कर,
हम अपने बचपन की खोज में थक गए हैं, लेकिन हमें वह बचपन नहीं मिला।
मिला ना ऐसा कोई अवसर,
वह समय आया ही नहीं जब हम अपने बचपन को फिर से पाएं।
बदल गई हर मायने बदल गया अंदाज,
हर चीज का मतलब और तरीका बदल गया है, हमारी जिंदगी का अंदाज भी।
कहां मिलेगा वह बचपन बता दे कोई एक बार,
कहां मिलेगा वह मासूमियत और खुशियों का समय, कोई एक बार हमें बता दे।
Bachpan ki Yaadein Hindi Poem
इस बचपन की यादें हिंदी कविता ने बचपन की खुशियों और यादों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया है। वे विचार करते हैं कि वे समय जब वे छोटे थे, वो अब गुजर गए हैं और वे उन दिनों की कमी महसूस करते हैं। कवि बताते हैं कि वे सपने और जिद के दिनों में जीतने में अपने बचपन की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते थे। यह कविता हमें यह याद दिलाती है कि बचपन के सुख-संगीत की महत्वपूर्णी होती है और हमें अपने बचपन की यादों को सुरक्षित रखना चाहिए। वे यह सोचते हैं कि क्या हम फिर से उन समयों को वापस पाएंगे, लेकिन यह संभव नहीं है।
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